समण संस्कृति संकाय जैन विद्या के परीक्षाओं का अनेक वर्षों से आयोजन कर रही है । वर्तमान शिक्षा प्रणाली में केवल बौद्धिक विकास पर ही बल दिया जा रहा है ,बच्चों में अनुशासन एवं चारित्र निष्ठा के संस्कारों से प्रभावित करने के लिए उन्हें आध्यात्मिक संस्कार भी देने आवश्यक है। हमारी बाल पीढ़ी जैनत्व के संस्कारों से जुड़ी रहे, जैन संस्कार के अनुरूप उनके अचार, विचार व्यवहार और खान-पान की पवित्रता और शुद्धता बनी रहे इसके लिए जैन विश्व भारती की महत्वपूर्ण इकाई है समण संस्कृति संकाय। संकाय द्वारा संचालित जैन विद्या के अध्ययन के द्वारा सुसंस्कारों के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। समण संस्कृति संकाय का पूरा तंत्र विशेष जागरूकता के साथ परीक्षाओं का आयोजन करता है, न केवल भारत में अपितु विदेशों में भी विभिन्न स्थानों पर केंद्र स्थापित है। वर्तमान में 450 से अधिक केंद्र स्थापित हो चुके हैं। जैन विद्या का नववर्षीय पाठ्यक्रम संचालित है, जिसमें हजारों की संख्या में प्रतिभागी संस्कार निर्माण की दिशा में अग्रसर होते हैं। यह गुरुदेव के अनेक अवदानो में से एक महत्वपूर्ण अवदान है। मुंबई में भी प्रतिवर्ष सभा के माध्यम से 39 केन्द्रों पर केन्द्र व्यवस्थापकों द्वारा फॉर्म भरवाए जाते हैं, जिसमें जैन विद्या के प्रथम भाग से लेकर 9 भाग और आगम तक का अध्ययन कराया जाता है। 1300 से 1500 फॉर्म भरकर परीक्षार्थी उसमें भाग लेते हैं। इसके पीछे आंचलिक संयोजिका , प्रभारी सह संयोजिका तथा केंद्र व्यवस्थापिका का श्रम मुखरित होता है।
प्रेमलता सिसोदिया
सह संयोजिका
महाराष्ट्र -गुजरात
विमला डागलिया
महाराष्ट्र प्रभारी
निर्मला नौलखा
आंचलिक संयोजिका
वेस्टर्न लाइन
अनिता सिंयाल
आंचलिक संयोजिका
हार्बर लाइन
भारती राठौड़
आंचलिक संयोजिका
सेन्ट्रल लाइन